सद्गुरु अपने किसी शिष्य को निकम्मा नहीं मानता है! मूर्ति नहीं तो मन्दिरमें लगकर पत्थर धन्य होता हैं।

सद्गुरु अपने किसी शिष्य को निकम्मा नहीं मानता है! मूर्ति नहीं तो मन्दिरमें लगकर पत्थर धन्य होता हैं।

Pujya Bhaishri Rameshbhai Oza

3 недели назад

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