लघुकथा- स्कूटर
कथा,पटकथा,संवाद एवं निर्देशन- उमाकान्त मिश्र
स्कूटर की कहानी एक बूढ़े माँ-बाप का अपने इकलौते बेटे,बहू,पोती के प्रति प्यार और स्नेह को दिखाता है| त्रिपाठी जी को पता चलता है कि उनके बेटे का परिवार सहित एक्सीडेंट में मृत्यु हो गयी है तो वह बैचेन हो उठते हैं| पत्नी को बिना बताये साथ लेकर बेटे को देखने शहर जाते हैं जहाँ उनके बेटे का दोस्त विकास गुप्ता उनकी हरसंभव मदद करता है| लेकिन वापस गाँव लौटने पर उन्हें पता चलता है कि उनके बेटे का स्कूटर चोरी हो गया था और उसने नयी स्कूटर ले ली है| बेटे,बहू,पोती को जिंदा देखकर त्रिपाठी जी खुशी से उन्हें गले लगा लेते हैं| उमाकान्त मिश्र ने अपने कहानी के माध्यम से एक बूढ़े माँ-बाप की आंखों में अपने जवान बेटे की मौत की ख़बर से उपजी पीड़ा को बहुत ही मार्मिक तरीके से दिखाया है