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आदिवासी विकासासाठी केंद्र व राज्य शासनाकडून विविध योजना आणि आदिवासी उपयोजनेंतर्गत विभाग म्हणून गेली कित्येक वर्षे विविध योजनांपोटी वार्षिक रु. ९० ते जास्त कोटी खर्च केले जातात, मात्र अजूनही विकासाची गंगा आदिवासी पाड्यांपर्यंत पोचलेली नाही, रस्ते,वीज, पाणी, रोजगार,आरोग्याच्या प्रश्नांच्या विळख्यात आजही आदिवासी जीवन ग्रासलेले आहे.आज गावातल्या सरपंचाकडे,पोलीस पटलाकडे कदाचित चारचाकी आल्या असतील मात्र आजारी माणसाला झोळीतून नेण्याचे आदिवासी पाड्यावरचे चित्र आजही बदलेले नाही.
Ответитьआदिवासी एकता परिषद पिछले कई सालोसे वैचारिक आंदोलन चला रहा है।। वैचारिक आंदोलन इस लिए भी चला रहा है कि देशके विकास के नाम पर सबसे ज्यादा आदिवासी प्रभावित हुए है आजादी के बाद देशकी जमीन सबसे ज्यादा आदिवासी ओके पास थी जल, जंगल जमीन के आदिवासी समाज मालिक है पर गौर करने वाली बात है की आदिवासी ओ ने कभी भी मालिकि ना कहा जताया ही नही क्योकी आदिवासी भी चाहते थेदेशका विकास हो ।। इस लिए कभी भी आदिवासी ओके विरोध नही किया ।।
पर आज आजादीके ७०साल बाद भी आदिवासियोंको विकासके नाम पर विस्थापित करना कितना उचित है ...???? अब शेष जमीन बची ही नही वहा तक की गुजारा करने लायक भी जमीन आदिवासी ओके पास से छीन ली गई कुछ नही बचा ।।तो हम तो देशके आदिवासी मूल बीज भारत के मालिक जाये तो जाये कहा.....?????
आदिवासियों के अधिकार छीनना, मारना, हत्या करना,बलत्कार करना, जबरन जेलोमे बंद करना ये सब सत्ता मै बैठे ऐयासी ओर उपभोगवादी लोगोकी नग्न नाच ओर कमीनापन है ।। ये सवर्ण समाजी खास कर आयासी और बीना श्रम के धन बटोरने वाले लोगोकी जीवनशैली की ये लूट खनन, करके आज धरतीको समाप्त के कगारपर आ टीका है यही बात १९९२मे ( uno )यूनाइटिड नेसन्सने महसूस किया ओर धरती को बचा लेना का तरीका खोजा तब रीयो-द-जानेरो में विश्व संसद मे प्रस्ताव रखते हुए आदिवासियों के नेता और धरतीके समग्र जीव सृष्टि का चिंतन करने वाले मसीहा अशोकभाई चौधरीने कहा की अब धरती ज्यादा नही टीक शकती उपभोगवादी जीवन शैली समग्रजीव सृष्टि का विनास कर देगा अशोकभाई चौधरी ने आगे कहा की अब पृथ्वीको बचाना है तो सहज, सरल, सादगी और सहजीवन स्वीकारना होगा।।
तब से यूनो ने माना, जाना और स्वीकार किया और कहा की जो धरतीको और धरती के जीव सृष्टि को बचाना है तो आदिवासियों को बचाना पड़ेगा।।
जब धरती पर आदिवासी बचेगें तो धरती पर जल, जंगल, पानी बचेगा जब जल, जंगल, पानी बैज़ा तो जीव सृष्टि बच पियेगा ।।हम सोना, चादी,जेवर , पहन सकते है खा नही सकते।। प्यास बुजाने पानी चाहिए भूख मिटाने अन्न चाहिए।।
6 year ago video ,i saw in 24 December 2020. I suggest it,, i would be happy for me.
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